जोधपुर17 मिनट पहलेलेखक: रविंद्र शर्मा
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इस शैक्षणिक सत्र के 46% दिनों में कक्षाएं ही नहीं लगी,
स्कूलों में 8 दिसंबर से अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। बच्चों के लिए बेहद अहम इन इम्तिहान से पहले जब भास्कर ने अब तक स्कूलों में करवाई स्टडी और और कंप्लीट करवाए कोर्स के बारे में जानकारी जुटाई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। 1 जुलाई से शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बाद 30 नवंबर तक 151 दिनों में महज 83 दिन (54%) ही बच्चों की पढ़ाई हो सकी। 68 दिन यानी, 46% दिन तक बच्चों की कक्षाएं लगी ही नहीं। वहीं इन बच्चों को पढ़ाने वाले गुरुजी इसकी बजाय आरपीएससी व कर्मचारी चयन आयोग की प्रतियोगी परीक्षाएं करवाने, टीचर्स ट्रेनिंग करने और विभागीय योजनाओं को पूरा करने में व्यस्त रहेे।
खास बात यह है कि 7 सितंबर तक तो शिक्षक स्कूलों में एडमिशन ही करते रहे। इसके बाद भी गुरुजी और शिष्य, दोनों ही खेलकूद में व्यस्त हो गए। 31 अक्टूबर से 27 नवंबर तक, करीब एक महीने तक खेलकूद प्रतियोगिताएं हुईं। अब हालत यह है कि अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं सिर पर हैं और अधिकांश स्कूलों में सिलेबस तक पूरा नहीं हुआ है। विभाग जांच के नाम पर आगामी 30 नवंबर और 1 दिसंबर को स्कूलों में निरीक्षण करेगा। 50 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों को विभाग कारण बताओ नोटिस भी जारी करेगा।
सप्ताह में 2 दिन पढ़ाई बंद, छुटि्टयां और सरकारी फॉर्मेलिटीज में जाता वक्त
सप्ताह में दो दिन स्कूलों में पढ़ाई बंद हो चुकी है। रविवार को अवकाश रहता है और टीचर्स कंपीटिशन एग्जाम करवाने में व्यस्त रहते हैं। वहीं शनिवार को नो बैग डे होने से पहली से बारहवीं कक्षा तक के छात्र पढ़ाई के अलावा विभिन्न एक्टिविटीज करते हैं। अब बचे 5 दिनों में हाल यह है कि हर महीने 4 से 5 फेस्टिवल या आयोजन के अवकाश हो जाते हैं।
बचे दिनों में भी टीचर्स और संस्था प्रधान सूचनाएं भेजने में व्यस्त रहते हैं। रही-सही कसर संविदा पर शिक्षक लेने और योजनाओं को रद्द करने पर उनको व्यवस्थित करने। बच्चों को दूध पिलाने और यूनिफार्म देने घोषणा के बाद इन सबकी व्यवस्थाओं की तैयारी और उसे अंजाम देने में भी वक्त लग जाता है। राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम के तहत 30 नवंबर और 1 दिसंबर को पूरे प्रदेश की स्कूलों में जांच होगी। 29 और 30 नवंबर को ही स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले हिंदी, गणित, पर्यावरण के शिक्षकों की ट्रेनिंग ब्लॉक स्तर पर होगी।
जानिए जुलाई से नवंबर का लेखा-जोखा
परीक्षाएं भले ही रविवार को हों, लेकिन इसके लिए टीचर्स की ट्रेनिंग, स्कूलों में 1-2 दिन तक व्यवस्थाएं करने आदि में भी समय लगता है। इन दिनों में बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती है।
- जुलाई के 31 दिन में से 19 दिन ही पढ़ाई हुई
- अगस्त में 31 में से 17 दिन ही पढ़ाई हुई
- सितंबर में 30 में से 19 दिन दिन स्टडी हुई
- अक्टूबर में 31 दिनों में से
- सिर्फ 10 दिन पढ़ाई हो पाई।
- नवंबर में 30 दिनों में से
- 18 दिन बच्चों की कक्षाएं लगीं।
स्कूलों में कंपीटिशन एग्जाम होते रहे, बच्चों की पढ़ाई पिछड़ती गई
- जुलाई में 14 और 15 तारीख को शारीरिक शिक्षकों की परीक्षा
- अगस्त व सितंबर में कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाएं
- अक्टूबर में 10 से 21 अक्टूबर तक लेक्चरर परीक्षा
- नवंबर में 5 और 6 को वनपाल, 11 से 13 नवंबर वनरक्षक, 21 से 24 नवंबर संस्कृत लेक्चरर की परीक्षा हुई।
अभी भी RTE और BLO का काम चल रहा
निजी स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेश दिए गए बच्चों का भौतिक सत्यापन करने का काम अंतिम चरण में है। इधर आगामी वर्ष में चुनाव के मद्देनजर मतदाता सूचियों को अपडेट करने, नए मतदाताओं को जोड़ने का काम टीचर्स के भरोसे है। इसके अलावा ओपन बोर्ड परीक्षाएं करवाने, परीक्षाओं के पेपर बनाने, केआरपी, टीचर्स लीडरशिप ट्रेनिंग, सब्जेक्ट ट्रेनिंग, वॉलंटियर ट्रेनिंग का काम भी चल रहा है।
- राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय प्रदेश मीडिया सदस्य सुभाष विश्नोई व रूपाराम रलिया का कहना है कि 1 जुलाई से 30 नवंबर तक जितने दिन हैं, उससे ज्यादा तो शिक्षा विभाग की योजनाएं हैं। टीचर रोज एक योजना पर काम करे तो भी बच्चों को पढ़ा नहीं पाएगा। ऊपर से नोटिस का डर।
- पूर्व उपनिदेशक गजरा चौधरी का कहना है कि टीचर्स के काम के बोझ को कम करने के लिए शाला दर्पण पोर्टल शुरू किया। उसी तरह इनको गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखने के लिए भी वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर संविदाकर्मी या अन्य विभागों के कर्मचारियों का सहयोग लिया जा सकता है।
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