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7 मिनट पहले
पिछले 5 साल में राजस्थान में करीब 10 कॉम्पिटिशन एग्जाम में पेपर लीक हुआ। ऐसा न होता तो 1 लाख से ज्यादा युवाओं को नौकरी मिलती।
राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं का बार-बार लीक होना सरकार के लिए भी सिरदर्द बन गया है। अब इसका पुख्ता इलाज करने वाले मॉडल पर विचार किया जा रहा है। बार-बार होने वाले पेपर लीक के मामलों से निपटने के लिए राज्य सरकार परीक्षाओं में सभी प्रतियोगी अभ्यर्थियों को अलग-अलग पेपर वितरित करने विचार कर रही है।
सीएम अशोक गहलोत के स्तर पर इसे जल्द ही अंतिम मंजूरी मिल सकती है। तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं। विभाग के मंत्री सुभाष गर्ग जल्द ही इस बाबत सीएम गहलोत से मिलकर उन्हें प्रस्ताव सौंपेंगे।
अब तक हजारों-लाखों की संख्या में अभ्यर्थियों को पेपर एक ही तरह का मिलता है। ऐसे में किसी भी परीक्षा में किसी एक अभ्यर्थी का पेपर भी लीक हो जाए तो पूरी परीक्षा निरस्त करके दुबारा आयोजित करनी पड़ती है। रीट-तृतीय श्रेणी परीक्षा इसका उदाहरण है। 2020 से इसकी प्रक्रिया चल रही है, अब तक परीक्षा जारी है, इसके तहत करीब 45 हजार शिक्षकों को नियुक्ति मिलना अभी भी बहुत दूर की बात है।
दो दिन पहले ही बेरोजगार युवाओं ने सरकार के खिलाफ शाहपुरा (जयपुर) में किया था प्रदर्शन।
राज्य की कांग्रेस सरकार ने पिछले चार सालों में बहुत सी लोकप्रिय योजनाएं भी शुरू की। 9 उपचुनाव में से 7 जीते भी। लेकिन पूरी सरकार में पेपर लीक के मामले सबसे बड़ी चिंता का सबब बने हुए हैं। हर मंत्री-विधायक में इसे लेकर डर व्याप्त है। सरकार के सामने अगर कोई एक सबसे बड़ी चुनौती है तो वो पेपर लीक को रोकना ही है।
पिछले चार सालों में 10 परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं। अगर यह सब परीक्षाएं ठीक समय पर पूरी होती तो अब तक करीब एक लाख 10 हजार युवाओं को सरकारी नौकरियां मिल चुकी होती। सरकार के सामने चुनौती है कि वो 40 दिनों बाद 24-25 फरवरी को होने वाली प्रदेश की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा (तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती) को पेपर लीक के कलंक से कैसे बचाए।
तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग। गर्ग कॉलेज प्रोफेसर और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन भी रहे हैं।
तकनीकी शिक्षा विभाग राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने भास्कर को बताया कि अभी भी जो सिस्टम राजस्थान ने प्रतियोगी परीक्षाओं में अपनाया हुआ है, वो बेहद मजबूत है। तभी तो अपराधी पकड़े जा रहे हैं। उनके अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाए गए हैं। लेकिन पेपर लीक ही न हो इस पर पिछले दिनों सरकार के भीतर बहुत एक्सरसाइज की गई है।
सीएम गहलोत और हम सभी लोग चिंतित हैं। युवाओं को होने वाले आर्थिक नुकसान और मानसिक पीड़ा से बचाया जाना बहुत जरूरी है। हम इस पर बहुत विचार-मंथन कर चुके हैं। बहुत से विशेषज्ञों से बातचीत हो चुकी। अब सभी प्रतियोगी अभ्यर्थियों को अलग-अलग पेपर सॉल्व करने को दिए जाने के सिस्टम को अपनाना ही पड़ेगा।
इससे कोई पेपर लीक भी हुआ तो वो इक्का-दुक्का से ज्यादा अभ्यर्थियों का नहीं होगा। पेपर लीक होने पर उनका रिजल्ट रोक कर बाद में घोषित किया जा सकता है।

प्रतियोगी परीक्षाओं को सिस्टम फुल प्रूफ बनाने की मांग को लेकर बेरोजगार युवाओं ने दी है सरकार को चेतावनी।
इधर राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेन यादव ने भास्कर को बताया कि अब बेरोजगार गले तक भर चुके हैं। एक तरफ तो सीएम गहलोत अगला बजट युवाओं को समर्पित करने की बातें कह रहे हैं और दूसरी तरफ बेरोजगार युवाओं को नौकरियां नहीं मिल रहीं।
अभी भर्तियों संबंधी ज्यादातर बजट घोषणाएं अधूरी हैं। सरकार को पेपर लीक को रोकने के लिए कोई फुल प्रूफ सिस्टम बनाना चाहिए और जितनी भी कमेटियां इस संबंध में अब तक बनी है, उनकी रिपोर्ट्स भी सार्वजनिक की जानी चाहिए। अब भी अगर सरकार ने पेपर लीक को नहीं रोका तो 2023 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में सरकार के भीतर से कांग्रेस पार्टी भी लीक हो जाएगी।
कैसे होंगे अलग-अलग पेपर वितरित
- सभी प्रतियोगियों को पूरी तरह से एक-दूसरे से भिन्न पेपर दिए जाएंगे। इसमें पेपर लीक होने पर सम्पूर्ण रिजल्ट पर कोई फर्क नहीं पडे़गा।
- एक परीक्षा सेंटर पर एक ही तरह के पेपर और दूसरे सेंटर पर दूसरी तरह के पेपर वितरित किए जाएंगे। किसी सेंटर पर पेपर लीक हुआ भी तो उस सेंटर के 400-500 अभ्यर्थियों का रिजल्ट रोक कर दुबारा परीक्षा करवाई जा सकती है।
- कम्प्यूटर ऐप द्वारा लॉटरी से रोल नंबर के हिसाब से पेपर आवंटित होंगे। इससे पेपर लीक हो भी जाए तो किसी को यह पता नहीं लग सकता कि यह पेपर किस अभ्यर्थी के पास जाने वाला है। ऐसा मकानों-प्लॉटों की लॉटरी या बहुत सी इनामी योजनाओं में किया जाता है जहां हजारों-लाखों की संख्या में आवेदन पत्र आते हैं।
लाखों की संख्या में अभ्यर्थी हैं चुनौती
हालांकि हर अभ्यर्थी को अलग-अलग पेपर देने में सबसे बड़ी चुनौती है अभ्यर्थियों का लाखों की संख्या में होना। ऐसे में बहुत से एडवांस टेक्नोलॉजी के ऐप हैं, जिनसे मदद ली जाएगी और भी बहुत से प्रिंटिंग विकल्प भी हैं। परीक्षाओं को अलग-अलग 4-5 चरण में करवाना भी इस समस्या को कम कर देगा।
यह उन परीक्षाओं में तो कारगर उपाय बनेगा ही जिनमें अभ्यर्थियों की संख्या लाखों में न हों। सरकार के सामने सबसे बड़ा लक्ष्य है पेपर लीक को रोकना। अगर यह रुक गया तो सरकार को करोड़ों रुपए की बचत होगी जो अभी अपराधियों को पकड़ने, दुबारा परीक्षा करवाने, पुलिस-प्रशासन के लंबे-चौड़े सुरक्षा संबंधी तामझाम पर खर्च हो रहे हैं।
सरकार की गुड गवर्नेंस की छवि और लोगों के बीच परसेप्शन भी खराब हो रहा है। हाल ही कांग्रेस के बिड़ला सभागार में हुए सम्मेलन में सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने कहा था कि अगले चुनावों में पेपर लीक मामला भारी पड़ेगा। यह ऐसा मामला है कि सरकार के सारे अच्छे कामों पर पानी फेर देगा।
अब सरकार के भीतर इसे लेकर चिंता व्याप्त है कि अगले बजट सत्र में पेपर लीक को लेकर विपक्षी विधायक उसे घेर सकते हैं।

सीएम गहलोत गुड गवर्नेंस के नाम पर चिंतन शिविर भी करने वाले हैं और अगला बजट भी युवाओं को समर्पित करने की बात कह रहे हैं, लेकिन इस छवि के सामने पेपर लीक मामलों को रोकना ही है सबसे बड़ी चुनौती।
इस साल आगे आने वाली हैं यह प्रतियोगी परीक्षाएं

पिछले 4-5 साल में इन परीक्षाओं का हुआ पेपर लीक

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सुरेश ढाका और भूपेन्द्र सारण। सीनियर टीचर भर्ती का पेपर लीक कराने वाले इन दोनों मास्टरमाइंड के नाम तो हर कोई जानता है, लेकिन अब भी पुलिस और जांच एजेंसियां ये पता नहीं लगा पाई है कि इन तक पेपर कैसे पहुंचा? सबसे पहले किसने और कैसे पेपर लीक किया?
ऐसा पहली बार नहीं है। REET से लेकर कांस्टेबल भर्ती परीक्षा, जितने भी पेपर लीक हुए, एजेंसियों ने मास्टरमाइंड का तो पता लगा लिया, लेकिन सबसे पहले पेपर लीक कहां से हुआ और किसने किया, इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया। (पूरी खबर पढ़ें)
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