श्रीगंगानगर16 मिनट पहले
श्रीगंगानगर में कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे किसान।
शहर के पास गांव साधुवाली में गाजर मंडी लगाने वाले किसानों को बुधवार को सिंचाई विभाग ने नोटिस जारी कर गंगनहर के किनारे गाजरों की धुलाई बंद करने का आदेश दिया है। सिंचाई विभाग के एसई धीरज चावला की ओर से जारी आदेश के बाद किसानों में रोष है। गुरुवार को किसानों ने जिला कलेक्टर से मिलकर विरोध जताया। उनका कहना था कि अब उनकी गाजर की फसल पकने की स्थिति में है। ऐसे में सिंचाई विभाग का नोटिस उनके रोजगार छीनने वाला साबित होगा। सरकार को चाहिए कि वह किसानों के लिए गाजर धुलाई का कोई विकल्प उपलब्ध करवाए या सिंचाई विभाग को इस मामले में उन्हें छूट देनी होगी।
साधुवाली में लगी गाजर धुलाई की मशीनें।
किसान बोले हमसे मत छीनो रोजगार
श्रीगंगानगर सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष अमरिसंह ने गुरुवार काे जिला कलेक्टर सौरभ स्वामी से मिलकर उन्हें समस्या से अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि किसानों का रोजगार गाजर पर टिका है। साधुवाली इलाके में बड़ी संख्या में किसान गाजर का उत्पादन करते हैं। इस गाजर को यहां गंगनहर के किनारे ही धोया जाता है। यहां नहर के पानी से धुलाई होने के बाद गाजर का रंग दिखने लगता है तथा इसके अच्छे दाम मिलते हैं।

श्रीगंगानगर में गाजर धो रहा किसान।
सीजन में हर दिन आती है दस हजार क्विंटल गाजर
एक अनुमान के अनुसार गाजर मंडी में सीजन में हर दिन करीब दस हजार क्विंटल गाजर धुलने के लिए आती है। इस गाजर को श्रीगंगानगर ही नहीं पंजाब और हरियाणा में भी बेचा जाता है। बहुत से छोटे दुकानदार नहर के किनारे ही दुकानें लगाकर गाजर बेचते हैं।
साठ साल से धो रहे गाजर
श्रीगंगानगर सब्जी उत्पादक संघ अध्यक्ष अमरसिंह ने बताया कि किसान यहां पिछले करीब पचास से साठ साल से गाजर धो रहे हैं। सिंचाई विभाग ने कभी आपत्ति नहीं जताई। अब विभाग का यह फैसला चिंता में डालने वाला है। उन्होंने बताया कि विभाग को आपत्ति है कि नहर पर गाजर धुलाई से नहर के पटड़े कमजोर हो जाएंगे तथा गाजर की मिट्टी नहर में जाने से सिल्ट भी जमा हो जाती है तथा टेल तक पानी पहुंचने में भी परेशानी आती है। अमरसिंह ने बताया कि जिला कलेक्टर ने मामले की जांच के लिए एडीएम, एसडीएम और सिंचाई विभाग के एसई की कमेटी गठित कर दी है। इस कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही नहर पर गाजर मंडी लगने के बारे में फैसला हो सकेगा।
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