जयपुर37 मिनट पहलेलेखक: दिनेश पालीवाल
नगर निगम जयपुर (ग्रेटर) के मेयर चुनाव के बीच हाईकोर्ट से मेयर सौम्या गुर्जर के बर्खास्तगी के ऑर्डर रद्द होने के बाद उनके मेयर बनने का रास्ता साफ हो गया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सौम्या को राहत दी थी। वे तीसरी बार पदभार संभाल सकती हैं।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या सौम्या इतनी पावरफुल हैं? क्या राजनीतिक पहुंच इतनी प्रभावशाली है? इन सभी सवालों का जवाब ढूंढ़ने के लिए भास्कर टीम ने उनके राजनीतिक जीवन को इंवेस्टिगेट किया।
सबसे पहले पढ़िए ये कविता…हाईकोर्ट के आदेश बाद उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट की…
संघर्ष भरा जीवन तेरा,संघर्षों से घबराना नहीं।
जब रात हो काली तो समझो, होने वाली है शुभ दिवाली।
जीवन के इस रण में, तुमको विश्वास अटल रखना होगा।
सौ बार गिरो फिर भी उठना, तेरा लक्ष्यभेद तभी होगा।
अग्निपथ सा ये जीवन, तू निर्भीक निडर होकर इस पर चल।
चरण पखारेगी मंज़िल, निश्चित होगी तेरी विजय।
इस कविता के जरिए सौम्या ने अपनी कहानी बताने की कोशिश की। कहानी जिसमें हर संघर्ष के बाद सफलता और उस सफलता के बाद एक और संघर्ष। मेयर की कुर्सी हाथ से निकलने ही वाली थी, लेकिन ऐनवक्त पर किस्मत ने उनका साथ दिया।
ऐसा नहीं है कि मेयर बनने के बाद ही सौम्या को सत्ता में रहने के लिए संघर्ष करना पड़ा हो। इस कुर्सी तक पहुंचने से पहले भी उन्हें अपनी ही पार्टी के विधायकों का विरोध भी झेलना पड़ा था। उस वक्त भी तमाम परिस्थितियों से लड़कर वे मेयर बनीं।
पढ़िए सौम्या की ‘ग्रेटर’ स्टोरी…
फिर पद से बर्खास्त, लेकिन लड़ती रहीं सौम्या
संघर्ष : 11 अगस्त 2022 काे न्यायिक जांच में साैम्या गुर्जर सहित पार्षद आरोपी पाए गए। इसके बाद शील धाभाई फिर से कार्यवाहक मेयर बन गईं। सुप्रीम काेर्ट ने राज्य सरकार काे स्वतंत्र कार्रवाई की याचिका निस्तारण कर दिया और 27 सितम्बर को सरकार ने सौम्या गुर्जर को मेयर पद और पार्षद की सदस्यता से बर्खास्त कर दिया था।
…और सफलता : वे इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट चली गईं। सौम्या गुर्जर की याचिका पर हाईकोर्ट के जस्टिस महेंद्र गोयल ने मेयर को बर्खास्त करने का सरकार का आदेश रद्द कर दिया। उन्होंने सरकार को नया आदेश लाने का निर्देश दिया।


पहला ऑप्शन : फैसले को दे सकते हैं चुनौती
सरकार या तो इस मामले को हाईकोर्ट की डबल बैंच में चुनौती दे सकती है। इसमें सरकार ये आधार बना सकती है कि हमने न्यायिक जांच और सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन के बाद बर्खास्ती के आदेश जारी किए है, जो ठीक है। हम दोबारा अब कोई सुनवाई या आदेश नहीं जारी करना चाहते।
दूसरा ऑप्शन : सौम्या को पक्ष बताने का मौका दे
सरकार न्यायिक जांच के आधार पर सौम्या गुर्जर को अपने समक्ष (सरकार के मंत्री या मंत्री द्वारा अधिकृत अधिकारी) पक्ष बताने का मौका दे। इस सुनवाई के आधार पर सरकार या तो अपने पुराने आदेश (27 सितंबर 2022) को बरकरार रख सकती है या सौम्या गुर्जर को बरी भी कर सकती है। इस आदेश के बाद सरकार अपनी कम्पलाइंस रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी।

सौम्या गुर्जर लगातार अपनी पार्टी में नेताओं के निशाने पर रहीं। हालांकि, कभी उन्होंने खुलकर इस बारे में कोई बयान नहीं दिया।
तीसरा ऑप्शन : ठंडे बस्ते में डाल सकते हैं मामला
राजनीति से जुड़े जानकारों की माने तो इस मामले को सरकार अब ठंडे बस्ते में भी डाल सकती है। उसके पीछे सबसे बड़ा कारण माली वोट बैंक है। सरकार नहीं चाहेगी कि सौम्या गुर्जर को दोबारा बर्खास्त करने के बाद रश्मि सैनी को मेयर बनने का मौका दें। सैनी अगर मेयर बनती है तो जयपुर जिले के सैनी वोटर्स कांग्रेस से खिसक सकता है। क्योंकि अगले एक साल के अंदर राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं।
( जैसा कि स्वायत्त शासन विभाग और जयपुर नगर निगम में विधि निदेशक के पद पर रहे अशोक सिंह (सेवानिवृत) ने बताया)

किसी विधायक ने नहीं दी प्रतिक्रिया
भले ही सौम्या दोबारा मेयर की कुर्सी संभालने जा रही हों, लेकिन उनसे जयपुर शहर के विधायक अब भी नाखुश है। यही कारण रहा कि जयपुर शहर के किसी भी विधायक की हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
हालांकि, संगठन की तरफ से प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा- हाईकोर्ट के आदेश से राजस्थान की कांग्रेस सरकार के चेहरे पर तमाचा पड़ा है। सरकार ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम की चुनी हुई मेयर को हटाने की साजिश की।
सौम्या को टिकट देने के खिलाफ थे जयपुर के विधायक
10 नवंबर 2020 को जब जयपुर नगर निगम ग्रेटर में मेयर का चुनाव हुआ था, तब सौम्या को टिकट देने पर जयपुर के मौजूदा और पूर्व विधायकों ने विरोध जताया था। पति राजाराम की आरएसएस में अच्छी पकड़ होने और भाजपा के पदाधिकारियों का सपोर्ट मिलने के बाद उन्हें विधायकों के विरोध को नजरअंदाज करते हुए मेयर का टिकट दिया गया।

पहली संभावना : एक्सपट्र्स के मुताबिक ये राज्य निर्वाचन आयोग और हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा। अगर सौम्या गुर्जर को सरकार बर्खास्त करती है और हाईकोर्ट सरकार के उस आदेश को ठीक मानता है तो वह दोबारा नए सिरे से चुनाव करवाने के लिए आदेश भी दे सकता है। इसके अलावा हाईकोर्ट सरकार 10 नवंबर को हुई वोटिंग के बाद सील हुई मतपेटियों को खुलवाकर उसकी काउंटिंग करवाकर चुनाव का रिजल्ट जारी करने के लिए कह सकता है।
दूसरी संभावना : अगर हाईकोर्ट की सिंगल एकलपीठ दोबारा चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को आदेश देती है तो आयोग इस मामले पर डबल बैंच में भी जा सकता है। आयोग डबल बैंच में अपना पक्ष रख सकता है कि चुनाव की सभी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और नियमों के तहत वोटिंग करवाई जा चुकी है ऐसे में रिजल्ट जारी करने के लिए आयोग मांग कर सकता है।

सौम्या की रेप विक्टिम के साथ सेल्फी
सौम्या गुर्जर सबसे पहले राज्य महिला आयोग की सदस्य रहते चर्चा में आई। उन्होंने एक रेप विक्टिम के साथ सेल्फी ली थी, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। इसके बाद उन्हें 30 जून 2016 को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
राजाराम सभापति पद से निलंबित
सौम्या गुर्जर के पति राजाराम करौली नगर परिषद में सभापति रह चुके हैं। नगर परिषद आयुक्त की शिकायत और थाने में दर्ज रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया था। करीब 8 महीने सस्पेंड रहने के बाद कोर्ट के आदेश पर उन्हें वापस सभापति की कुर्सी मिली थी।
राजाराम करौली दंगों में आरोपी
करौली में हुए दंगे में जयपुर ग्रेटर नगर निगम मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर को भी आरोपी बनाया गया।

घूस मांगने के मामले में गए थे जेल
जयपुर नगर निगम में बीवीजी कंपनी के 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान के लिए 20 करोड़ रुपए की घूस मांगने के आरोप में राजाराम को जेल जाना पड़ा था। पिछले साल जून में एक वीडियो-ऑडियो वायरल होने के बाद राजाराम के साथ BVG कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे भी जेल गया था। इस वीडियाे में आरएसएस प्रचारक निंबाराम भी थे, जिन्हें भी एसीबी ने नोटिस जारी किया था।

पहले निलंबित हुईं
- 3 नवंबर 2020 को चुनाव जीतकर जयपुर में पार्षद बनी। 10 नवंबर को मेयर का चुनाव जीता और जयपुर ग्रेटर की पहली मेयर बनी।
- 28 जनवरी 2021 को साधारण सभा करके नगर निगम में संचालन समितियों का गठन किया, लेकिन राज्य सरकार ने 25 फरवरी को एक आदेश जारी सभी कमेटियों को भंग कर दिया।
- सौम्या ने सरकार के इस आदेशों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई और 26 मार्च को कोर्ट ने सरकार के आदेश पर रोक लगा दी।
- 4 जून 2021 को मेयर सौम्या का तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव से एक बैठक में विवाद हुआ। इस विवाद के अगले दिन यानी 5 जून को सरकार ने सौम्या को मेयर पद से निलंबित कर दिया और मामले की न्यायिक जांच शुरू करवा दी।

फिर संभाली कुर्सी
- सरकार के निलंबन के फैसले को सौम्या ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 28 जून को हाईकोर्ट ने मेयर को निलंबन आदेश पर स्टे देने से मना कर दिया।
- जुलाई में सौम्या ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच रूकवाने और निलंबन आदेश पर स्टे की मांग की। इस पर 3 बार से ज्यादा बार सुनवाई हुई और 1 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन ऑर्डर को स्टे दे दिया, जिसके बाद 2 फरवरी को सौम्या ने वापस मेयर की कुर्सी संभाली।
दूसरी बार बर्खास्त
- 11 अगस्त 2022 को सौम्या के खिलाफ न्यायिक जांच की रिपोर्ट आई, जिसमें उनको दोषी माना गया।
- इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच की रिपोर्ट पेश की और मामले की जल्द सुनवाई करवाई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितम्बर को मामले की सुनवाई के बाद सरकार को कार्यवाही के लिए स्वतंत्र करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया।
- 27 सितम्बर को सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए सौम्या गुर्जर को मेयर पद और पार्षद की सदस्यता से बर्खास्त कर दिया था।

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जयपुर ग्रेटर नगर निगम की तत्कालीन मेयर सौम्या गुर्जर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। सौम्या भाजपा से हैं और राज्य सरकार कांग्रेस की है। इसके बाद राज्य चुनाव आयोग ने नए मेयर के चुनाव की घोषणा की। इसके बाद 10 नवंबर को नए मेयर के चुनाव के लिए वोटिंग हुई और काउंटिंग के दौरान चुनाव आयोग को एक ई-मेल मिला। (पूरी खबर पढ़ें)
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