जैसलमेर18 मिनट पहले
जैसलमेर। भणियाना गांव के एक खेत में समूहिक श्रमदान ‘लाह’ करते किसान।
जैसलमेर के किसान आज भी अपनी सदियों पुरानी श्रमदान की परंपरा को निभाते आ रहे हैं। ‘लाह’ नामक इस परंपरा में सभी किसान मिलकर रोजाना एक किसान के खेत में श्रमदान कर उसके खेत को साफ करने में मदद करते हैं। इसके लिए वे किसी भी तरह का मेहनताना भी नहीं लेते हैं और किसान का महीनों का काम एक ही दिन में हो जाता है। मस्ती भरे लोक गीतों को गाते नाचते किसान आज भी इस परंपरा के साथ लोगों को एक दूसरे की मदद करने को लेकर मोटिवेट करते नजर आते हैं। भणियाना में किसान खेतों में सफाई का काम कर रहे हैं और इसके बदले खेत का मालिक उन्हें देसी भोजन करवा का धन्यवाद देता है।
‘लाह’ से किसान के खेत में एक ही दिन में हो जाती है सफाई
बिना मेहनताना लिए एक साथ जुटते हैं सभी
किसान हिम्मत राम चौधरी ने बताया कि किसानों की ‘लाह’ सदियों पुरानी परंपरा है जब किसान खेत में अकेला काम नहीं कर पाता है और उस समय सभी किसान मिलकर तय करते हैं कि हम सब मिलकर एक दूसरे के खेत में काम करेंगे ताकि सभी का काम हो जाए। सभी मिल जुल कर एक दूसरे के खेत में सफाई का काम करते हैं जिससे खेती-बाड़ी आसानी से समय पर निपट जाती है। किसान का काम काम जल्दी हो जाता है और फिर दूसरे दिन एक अलग किसान और उसका खेत। सभी किसान एक साथ उस किसान के खेत में मिलकर जाते हैं, गीत गाते हैं नाचते हैं इस तरह से कम ही दिनों में कम मेहनत में पूरे गांव के जितने खेत हैं वे इस सामूहिक श्रमदान में साफ हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि ये अनूठी परंपरा सदियों से चलती आ रही है आज भी उसी प्रकार कायम है।
घी व चूरमा या हलवा हल्दी की सब्जी
खेत मालिक किसान का काम पूरा हो जाने पर वह सभी किसानों को देसी घी से बना खाना खिलाते हैं, ऐसा हर दिन हर बार होता है। सामूहिक श्रमदान करने वाले सेवादारों व किसानों को खेत मालिक की तरफ से बढ़िया भोजन करवाया जाता है।
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