जयपुरएक घंटा पहले
प्रोफेसर देव स्वरूप
राजस्थान लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर देव स्वरूप ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। मंगलवार को उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल कलराज मिश्र को भेजा था। जिसे मिश्र ने तुरंत स्वीकार कर लिया है। बता दें कि देव स्वरूप का कार्यकाल अगले साल फरवरी तक था। ऐसे में अपने खिलाफ योग्यता को लेकर शुरू हुई जांच के बाद देव स्वरूप ने कार्यकाल खत्म होने से 2 महीने पहले ही इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया है।
बता दें कि यह दूसरा मौका है जब देव स्वरूप ने कुलपति के पद से इस्तीफा दिया है। साल 2014 में भी वह राजस्थान यूनिवर्सिटी से इस्तीफा दें चुके है। साल 2013 में देवस्वरूप के खिलाफ भर्ती को लेकर आरोप लगे थे। इसके बाद नवम्बर 2014 में विवादों में आने के बाद स्वरूप ने प्रशासनिक काम में सरकार की ओर से सहयोग नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए इसतीफा दे दिया था।
डिग्री को लेकर हुआ विवाद
डॉ. देव स्वरूप की एलएलबी डिग्री को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे। डॉ. देव स्वरूप पूर्व में जब राजस्थान यूनवर्सिटी के कुलपति थे। तो उन्होंने अपने आवेदन में खुद के पास एलएलबी डिग्री होना बताया था। लेकिन जब उन्होंने डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्याल के कुलपति पद के लिए आवेदन किया। तो उसमें अपनी एलएलबी डिग्री छुपाई थी। इसे लेकर राजभवन ने 7 जुलाई को जांच कमेटी का गठन किया था। जब कमेटी ने जब जांच शुरू की और डॉ. देव स्वरूप ने उनकी डिग्रियों की जानकारी चाही। तो उन्होंने अपनी डिग्रियों की जानकारी देने से ही मना कर दिया था।
जांच में नहीं किया सहयोग
इस साल जुलाई में सांसद रामचरण बोहरा और विधायक नरपतसिंह राजवी ने सबसे पहले राजभवन को डॉ. देव स्वरूप की एलएलबी डिग्री को लेकर शिकायत की थी। इसके बाद 7 जुलाई 2022 को राजभवन ने जांच के लिए वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. कैलाश सोढाणी की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया। जिसमें पूर्व VC प्रो. पीसी त्रिवेदी और बॉम सदस्य डॉ. संतोष शील को सदस्य बनाया। इस पूरे मामले की बाद कमेटी को 15 दिन में रिपोर्ट देनी थी। लेकिन देवस्वरूप द्वारा सहयोग नहीं करने की वजह से जांच पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद राज्यपाल के प्रमुख सचिव सुबीर कुमार ने 16 नवंबर को कमेटी को रिमाइंडर भेजा। जिसमें लिखा कि जल्द से जल्द जांच कर राजभवन को रिपोर्ट भेजें।
वहीं राजभवन के आदेश के बाद कमेटी अध्यक्ष डॉ. कैलाश सोढाणी ने 29 नवंबर को डॉ. देव स्वरूप से जानकारी मांगी। जिसपर 1 दिसंबर को डॉ. देव स्वरूप ने कहा कि डिग्रियां पुरानी है। ढूंढने में वक्त लगेगा। इसलिए डिग्री ढूंढने के लिए 2 महीने का वक्त दिया जाए। इस पर 2 दिसंबर को कमेटी ने 2 महीने का वक्त देने से इंकार करते हुए 10 दिसंबर तक डिग्रियों की जानकारी मांगी। इसके बाद 9 दिसंबर को फिर डॉ. देव स्वरूप ने कहा, मुझे 2 माह का समय दिया जाए। लेकिन कमेटी ने वक्त नहीं दिया। तो मंगलवार को देवस्वरूप ने इस्तीफा ही दे दिया।
बता दें कि राजभवन द्वारा गठित जांच कमेटी ने कुलपति डॉ. देव स्वरूप को दो बार पत्र लिखे। लेकिन दोनों ही बार देव स्वरूप ने जांच कमेटी को दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए। वहीं दोनों ही बार कुलपति ने अपने दस्तावेज ढूंढ़ने के लिए 2 माह का समय मांगा है। इसमें सबसे रोचक तथ्य यह था कि फरवरी 2023 में डॉ. देव स्वरूप का बतौर कुलपति पद पर कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। ऐसे में अगर कमेटी उन्हें 2 महीने का वक्त देती। तो तब तक उनका कार्यकाल ही पूरा हो रहा था। दस्तावेज ढूंढने के लिए 2 माह का समय मांगा था। इसके बाद मंगलवार को उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया।
एक बार फिर विवाद
डॉ. भीमराव अंबेडकर लॉ यूनिवर्सिटी में शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक भर्ती प्रक्रिया पर बीजेपी ने सवाल उठाए थे। सांसद रामचरण बोहरा ने राज्यपाल से लॉ यूनिवर्सिटी में भर्ती प्रक्रिया की जांच की मांग की थी। वहीं नरपत सिंह ने भी चिट्टी लिखकर विश्वविद्यालय में शैक्षणिक और अशैक्षणिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी कर अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के प्रयास का आरोप लगाया था। जबकि डॉ. देवस्वरुप पर उनकी नियुक्ति से लेकर राजस्थान विश्वविद्यालय में साल 2013 में की गई शिक्षक भर्ती को लेकर भी आरोप लगे थे।
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