जयपुर3 मिनट पहले
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले को आज पूरे 14 साल हो चुके हैं। राजस्थान के दो लाेगों से भास्कर ने बात की, जो उस दौरान मुंबई में ही थे। भरतपुर के रहने वाले NSG कमांडो केशव आतंकवादियों के हमले से लोगों को बचा रहे थे और पाली की रहने वाली 9 साल की देविका, जिसे कसाब ने गोली मारी। देविका की गवाही ने ही कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाया।
पहले पढ़िए देविका की आपबीती, जो आज 23 साल की हो गई हैं…
26 नवंबर 2008 की शाम अपने पिता नटवरलाल और छोटे भाई जयेश के साथ CST (छत्रपति शिवाजी टर्मिनस) स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 12 पर खड़ी थी। उस समय मेरी उम्र 9 साल की थी। हम बड़े भाई भरत से मिलने पुणे जा रहे थे।
छोटे भाई ने पापा से कहा कि उसे टॉयलेट जाना है। पापा ने उससे कहा कि जाकर आजा, फिर टिकट लेकर पुणे वाली ट्रेन में बैठ जाएंगे। इतनी ही देर में गोलियों और बम विस्फोट की आवाज आने लगी। लोग चीख रहे थे। रह- रह कर धमाके सुनाई देते थे। एक आदमी हंसता हुआ हाथ में बंदूक लेकर हमारे प्लेटाफॉर्म पर आया। वह लगातार फायरिंग कर रहा था।
पैर के 6 ऑपरेशन हुए, मेरी हड्डी टूट गई
कसाब की गोली से मैं बेहोश हाे गई। जब होश आया तो मैं सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल में थी। वहां आतंकवादी हमले के शिकार कई लोग भर्ती थे। बिना ऑपरेशन और बेहोश कर गोली निकाल रहे थे। यह सब देखकर मैं डर गई थी।
वहां से मुझे जेजे हॉस्पिटल शिफ्ट किया गया। 27 नवंबर को मेरे पैर से गोली निकाली गई। मेरे पैर की हड्डी टूट चुकी थी। 6 ऑपरेशन हुए। इसके कुछ महीनों बाद मुझे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई और हम पाली जिले में अपने गांव आ गए।

क्राइम ब्रांच का फोन आया, जज के सामने कसाब को पहचाना
राजस्थान आने के बाद मुंबई क्राइम ब्रांच से कॉल आया। मुझे कोर्ट आने को कहा और बोला गया– कसाब को पहचान जाओगी, डरोगी तो नहीं, पीछे तो नहीं हटोगी। मैंने हां कर दी। कोर्ट में गई तो मेरे सामने तीन आतंकी थे। इनमें से एक कसाब था जिसने मेरे पैर में गोली मारी। कोर्ट में मुझसे पूछा गया- कसम का मतलब जानती हो– मैंने कहा सच बोलूंगी तो भगवान साथ देगा और झूठ बोलूंगी तो भगवान सजा देगा।

अब पढ़िए NSG कमांडो केशव की जुबानी…
26/11 की शाम से ही टीवी चैनल्स पर आतंकी हमले की खबरें आने लगी थीं। हम हरियाणा के मानेसर में NSG ट्रेनिंग सेंटर में थे। रात 9 बजे सूचना मिली कि हमें मुंबई जाना है और ऑपरेशन टोर्नेडो संभालना है। हम 27 नवंबर काे वहां पहुंचे। मुझे होटल ताज भेजा गया।
लोगों की आड़ लेकर फायरिंग कर रहे थे आतंकी
होटल ताज का मंजर खौफनाक था। 166 लोगों की जान जा चुकी थी। हर तरफ खून बिखरा था। लहूलुहान लाशें थीं। ब्लास्ट और फायरिंग की वजह से हर तरफ धुआं था।

हमारा फोकस था कि जिन लोगों को बंधक बनाया गया है उन्हें कैसे वहां से सुरक्षित निकाला जाए। हमने तय कर लिया था कि हमारी एक गोली भी सिविलियंस को नहीं लगे।
पता नहीं था कहां से गोली आ जाए
जब हम होटल में घुसे तो पता नहीं था कि कितने आतंकी अंदर हैं। फर्स्ट फ्लोर पर आतंकवादियों ने आग लगा दी। इसके बाद सेकेंड और थर्ड फ्लोर पर कोने से फायरिंग हो रही है। टीम ने 60 घंटे तक इस पूरे ऑपरेशन को संभाला। हमें जैसा बताया जा रहा था, हम वैसा ही कर रहे थे। रूम में बंधक बनाए लोग सहमे थे। फायरिंग और आग से इतनी दहशत हो चुकी थी कि पता ही नहीं, कहां से गोली आ जाए।

जब हम बंधक बनाए लोगों तक पहुंचे तो हमें देखकर उनकी आंखों में चमक आ गई। उन्हें लगा कि हमें कोई बचाने वाला यहां पर है। जब उन लोगों को देखा तो हमारा हौसला ज्यादा बढ़ गया। 60 घंटे तक लगातार भूखे-प्यासे जब हमने आतंकियों का खात्मा कर दिया तो 29 नवंबर को अनाउंसमेंट किया गया कि ऑपरेशन टोर्नेडो पूरा हुआ।
कारगिल की कहानियों से सेना में एंट्र्री, अब चला रहे हैं सोशल कैंपेन
केशव कमांडो के सेना में आने की कहानी भी रोचक है। 31 मार्च 2016 को केशव ने सेना से वॉलिटिंयर रिटायरमेंट लिया। केशव ने बताया कि वे अब भी कई सोशल कैंपेन चला रहे हैं। एंटी एल्कोहल कैंपेन के जरिए युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हरी गिरी संत के माध्यम से गांव और आस-पास के युवाओंं को नशा न करने की शपथ दिलाई थी।

वे शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति को लेकर भी यूथ में अवेयरनेस कैंपेन चला रहे हैं। स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में जाकर वे देश भक्ति के किस्से सुना बच्चों को सेना में जाने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं। केशव अपने बारे में बताते हैं
केशव कमांडो की धड़कनों में धड़कता रहे मेरे देश…तुझको सलाम है मेरा, मैं मरूं तो मेरी जुंबा पर नाम हो तेरा
केशव कमांडो बताते हैं जब भी किसी शहीद की पार्थिव देह पहुंचती हैं तो मैं अपील करता हूं कि पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करे। क्योंकि..
श्मशान में हो सजावट, मुंह पर मुस्कराहट होनी चाहिए…भारत माता की हो जय-जयकार, मेरा कफन तिरंगा होना चाहिए ।

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