सिरोही26 मिनट पहले
सुमेरपुर नीलकंठ महादेव मंदिर की सीढ़ियों से मिले बच्चे के वास्तविक परिजनों को लेकर मामला कोतवाली पुलिस तक पहुंच गया।
सुमेरपुर नीलकंठ महादेव मंदिर की सीढ़ियों से मिले बच्चे को लेने मंगलवार शाम करीब 5:30 बजे एक महिला सिरोही बस स्टैंड पहुंची, लेकिन बस स्टैंड पर मौजूद लोगों ने एतराज करते हुए बताया महिला झूठ बोल रही है बच्चा इसका नहीं है। यह आबूरोड में भिक्षावृत्ति का काम करती है। इस पर कोतवाली पुलिस पहुंची और दोनों को थाने ले आई।
दरअसल हुआ ये कि ब्रह्माकुमारी आबू रोड के गेट के पास रहने वाली नजमा पत्नी बसीर एक साधु के साथ सिरोही बस स्टैंड पहुंची तथा यहां से उसने सुमेरपुर में लक्ष्मी पति विनोद व्यास को फोन करके कहा कि उसका बेटा डेढ़ महीने पहले खो गया था उसे वह लेने के लिए सिरोही तक आ गई है, लेकिन उसके पास पैसे नहीं है इसलिए वह बच्चे को देने के लिए सिरोही आ जाए। इस पर लक्ष्मी व्यास उसके पति विनोद के साथ बाइक पर बच्चे को लेकर सिरोही बस स्टैंड पहुंची तथा लक्ष्मी ने जब उस बच्चे को वापस उसकी मां को देना चाहा तो आसपास के लोगों को शक होने पर कहा कि यह बच्चा इसका नहीं हो सकता। उक्त महिला का पेशा भिक्षावृत्ति है। उन्होंने कोतवाली पुलिस को फोन कर बस स्टैंड बुलवाया।
कोतवाली थाने के हेड कॉन्स्टेबल शेराराम दल सहित बस स्टैंड पहुंचे तथा उन्होंने पूरी बात सुनने के बाद बच्चे को तथा उन सभी लोगों को लेकर कोतवाली आए। लक्ष्मी बच्चा देने के लिए तैयार है, लेकिन उसका कहना है बच्चा उसके सही मां-बाप के पास जाए किसी दूसरे के पास नहीं, जबकि नजमा ने बताया कि उसका बच्चा डेढ़ महिला पूर्व कोई सोनू सरदार नाम का व्यक्ति उसे उठाकर ले गया था। उसने इस बारे में आबूरोड शहर थाने में बच्चे की गुमशुदगी दर्ज करवाई, लेकिन कोतवाली पुलिस के पूछने पर आबूरोडशहर पुलिस ने बताया कि कोई गुमशुदगी दर्ज नहीं है। नजमा ने बताया कि उसे किसी ने खाना दिया, जिससे वह बेहोश हो गई और वह बच्चों को उठा ले गया। कोतवाली ने इस मामले को बाल कल्याण समिति के सुपुर्द करने की तैयारी करते हुए समिति के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों को सूचना दी गई, नजमा ने बताया उसके बच्चे का नाम साबिर है, जबकि लक्ष्मी ने बताया कि उसने बच्चे का नाम विष्णु रखा है।
0 Comments