बाड़मेर4 घंटे पहले
सचिन पायलट समर्थक वन मंत्री हेमाराम चौधरी ने सियासी बवाल के जिम्मेदार नेताओं पर जल्द कार्रवाई करने और पायलट को जिम्मेदारी देने की मांग उठाई है। चौधरी ने कहा- 25 सितंबर को हुए घटनाक्रम के बाद राजस्थान में कांग्रेस कार्यकर्ता व जनता में अनिश्चितता का वातावरण है। सरकार अनिश्चितता से गुजर रही है। हाईकमान को 25 सितंबर की घटना के जिम्मेदार तीनों नेताओं के खिलाफ जल्द कार्रवाई करनी चाहिए। इस घटना से पार्टी को भारी नुकसान हुआ है। शनिवार को हेमाराम चौधरी बाड़मेर में मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
हेमाराम ने कहा- सचिन पायलट ने विपक्ष में रहते हुए पार्टी को फिर से जीवित किया। उनकी वजह से ही पार्टी सत्ता में आई। पायलट ने मेहनत की उस मेहनत को देखते हुए उन्हें जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। अगर एक तरफा चलेंगे तो पार्टी को नुकसान होगा।
25 सितंबर को विधायक दल की मीटिंग में विधायक नहीं पहुंचे थे। मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर हुई बैठक में गहलोत गुट के विधायक पहुंचे थे। इसी के बाद पार्टी में घमासान शुरू हुआ। सोनिया गांधी तक मामला गया और सीएम अशोक गहलोत को माफी मांगनी पड़ी थी।
बागियों पर जल्द फैसला होना चाहिए
हेमाराम ने कहा- 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने की घटना खड़गे के सामने हुआ। उस पर अब तक फैसला नहीं हुआ। 25 सितंबर की घटना पर फैसला नहीं होने की वजह से उन्होंने भी राजस्थान प्रभार से इस्तीफा भेज दिया है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं राजस्थान में संगठन की क्या स्थिति होगी? भारत जोड़ो यात्रा में असर नहीं पड़े इसलिए इस पर निर्णय जल्द से जल्द लेना चाहिए। अगर जल्दी फैसला नहीं किया तो यात्रा पर भी गलत असर होगा।
वेणुगोपाल ने दो दिन में फैसला करने को कहा था
हेमाराम ने कहा- 25 सितंबर को हुए घटनाक्रम के बारे में पूरे देश की जनता को ध्यान है। उसके बाद प्रभाारी महासचिव अजय मकान ने उस घटना की रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को दे दी थी। वेणुगोपाल जी ने दो दिन में घटना पर निर्णय लेने के लिए कहा था। लेकिन इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी उसके बारे में निर्णय नहीं होने से एक अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है। इस अनिश्चितता के वातावरण को खत्म किया जाना बहुत ही जरूरी है।

25 सितंबर को विधायक दल की मीटिंग में विधायक नहीं पहुंचे थे। धारीवाल के घर से विधायक स्पीकर सीपी जोशी के घर पहुंचे थे और 92 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था।
जल्द फैसला नहीं हुआ तो चुनावों में नुकसान होगा
हेमाराम ने कहा- राजस्थान पर अब तक निर्णय नहीं लेने से नुकसान हुआ है। अब जल्दी निर्णय नहीं लेने पर इससे और ज्यादा नुकसान पार्टी को होगा। हमारा लक्ष्य 2023 के चुनाव में फिर से कांग्रेस की सरकार बनाने का है। निर्णय में देरी हुई तो सरकार नहीं बना पाएंगे। पार्टी को अब तक बहुत नुकसान हो चुका है। सरकार अनिश्चितता के दौर में गुजर रही है। ऐसे में जो भी निर्णय हाईकमान उचित समझे वो निर्णय लेना चाहिए।
मुझे 50 साल हो गए राजनीति में, अब मेरी जगह युवा को मौका दें
हेमाराम ने कहा- मैं तो 2013 में भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहता था। अब 2023 के चुनाव में मेरी उम्र हो जाएगी। मुझे राजनीति में 50 साल हो चुके हैं। अब मैं जगह खाली नहीं करूंगा तो युवा को कैसे मौका मिलेगा। मेरी जगह किसी युवा को मौका दिया जाए।
मैं मंत्री पद छोड़ने को तैयार
हेमाराम ने कहा- पार्टी हाईकमान को बिना समय का इंतजार किए फैसला करना चाहिए। मैं मंत्री रहूं या नहीं रहूं, मैं मंत्री पद छोड़ने को तैयार हूं। अगर चुनाव में रिजल्ट नहीं आए तो मेरा मंत्री पद पर रहना ही बेकार है। 2023 में फिर से सरकार बने, चार साल में ही अगर नौ की तेरह नहीं की तो अब क्या कर लेंगे?

सचिन पायलट भी सियासी बगावत पर दे चुके बयान।
हर कार्यकर्ता असहज महसूस कर रहा
हेमाराम ने कहा- मौजूदा हालत में पार्टी कार्यकर्ता अपने आपको असहज महसूस कर रहा है। मैं खुद भी असहज महसूस कर रहा हूं। पार्टी का हित पहले है। इस वक्त पार्टी का हित यह है कि बिना समय गंवाए 25 सितंबर की घटना पर फैसला हो। नेता अगर पार्टी से पहले खुद का फायदा देखेंगे तो पार्टी नहीं चलेगी। जल्द फैसला हो गया तो 25 सितंबर की घटना से हुए नुकसान पर कुछ सुधार हो सकता है, नहीं तो नुकसान होगा।
अनुशासनहीता के आरोपी को यात्रा की जिम्मेदारी देना कहां तक उचित?
मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा- धर्मेंद्र राठौड़ पर अनुशासनहीनता का नोटिस दिया गया, लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है और फिर उसको भारत जोड़ो यात्रा की जिम्मेदारी सौंपना यह कहां तक उचित है। इस पर हाईकमान को विचार करना चाहिए। हम तो कतई उचित मानते नहीं हैं। क्योंकि राठौड़ के ऊपर अनुशासनहीनता का जो आरोप लगा है उससे अभी तक बरी नहीं हुए हैं। ऐसे आदमी को भारत जोड़ो यात्रा की जिम्मेदारी दी जाए कि इनके नेतृत्व में यह यात्रा निकले यह ठीक नहीं है। पार्टी को आने वाले समय में बहुत नुकसान होगा।
ये भी पढ़ें
राहुल के आने से पहले माकन का इस्तीफा संयोग नहीं:पढ़िए पॉलिटिकल ड्रामे की स्क्रिप्ट, जो अब राजस्थान में होगा

पिछले दो साल से राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन के इस्तीफे के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। माकन ने अपने इस्तीफे में राष्ट्रीय अध्यक्ष को जिस तरह से बागियों पर कार्रवाई नहीं होने की बात कहते हुए नाराजगी जताई, उससे ये साफ है कि वे आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं। इस लड़ाई का मकसद प्रभारी की ताकत दिखाने के साथ हाईकमान के आदेशों की अवहेलना का मुद्दा जिंदा रखना भी माना जा रहा है। (पूरी खबर पढ़ें)
0 Comments