सवाई माधोपुर27 मिनट पहले
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रणथंभौर के बीमार बाघ टी-57 का उपचार करते पशु चिकित्सक एवं मौजूद अधिकारी।
- रणथंभौर नेशनल पार्क का मामला, वन विभाग कर रहा बीमार बाघ की मॉनिटरिंग
रणथंभौर के बाघ टी-57 के बीमार होने पर वन विभाग की टीम ने ट्रेंकोलाइज कर पशु चिकित्सकों ने उसका उपचार किया। पशु चिकित्सकों ने बाघ को फ्लूड थैरेपी दी और ड्रिप चढ़ाकर कई प्रकार के ताकतवर व पाचन क्रिया को ठीक करने वाली दवाएं तथा विटामिन दिए। इसके बाद बाघ को जंगल में छोड़ दिया। वन विभाग की टीम इस बाघ की गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए है। उपवन संरक्षक (प्रथम) संग्राम सिंह ने बताया कि रणथंभौर के बाघ टी-57 की तबीयत खराब हो गई। बाघ को पेट में तकलीफ थी। इसके चलते उसे चलने-फिरने में तकलीफ हो रही थी। बाघ के बीमार होने की जानकारी मिलने पर बाघ विशेषज्ञों ने ट्रेंकोलाइज किया। इसके बाद पशु चिकित्सकों की टीम ने बाघ के स्वास्थ्य की जांच कर उसका उपचार किया। इसके बाद ठीक होने पर बाघ जंगल में चला गया।
अभयारण्य के जोन 2 में विचरण कर रहा है बाघ
रणथंभौर के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार बाघ टी-57 बाघ टी-58 का भाई है। यह नॉन टूरिज्म एरिया का बाघ है। बाघ टी-57 खंडार रेंज के लाहपुर क्षेत्र का बाघ है, जो लाहपुर से चलकर जोन नंबर दो में आया था। बाघ लंबे समय से जोन दो में ही विचरण कर रहा है। बाघ की उम्र लगभग 10 साल है। बाघ के बीमार होने का पता चलने पर वन विभाग ने उसकी मॉनिटरिंग बढ़ा दी। रणथंभौर के पशु चिकित्सकों की इस बाघ पर नजर थी। बाघ को ट्रेंकोलाइज कर पशु चिकित्सकों ने स्वास्थ्य जांच के बाद उसका उपचार किया। होश में आने के बाद बाघ जंगल में चला गया।
वन विभाग की टीम मॉनिटरिंग कर रही है
वन विभाग के पशु चिकित्सक डॉ. सीपी मीणा ने बताया कि बाघ टी-57 पेट की तकलीफ से जूझ रहा है। बाघ को भोजन को पचाने में परेशानी हो रही है। साथ ही बाघ मल त्याग भी नहीं कर पा रहा था। इसके चलते बाघ चल- फिर नहीं पा रहा है। उपचार के दौरान चिकित्सकों ने बाघ को फ्लूड थैरेपी दी और ड्रिप चढ़ाकर कई प्रकार के ताकतवर व पाचन क्रिया को ठीक करने वाली दवाएं तथा विटामिन दिए। विभाग की ओर से बाघ की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।
बाघिन शर्मिली टी-26 का है बेटा, भाई टी-58 से भिड़ चुका है
बाघ टी-57 का जन्म 9 साल पहले रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में हुआ था। बाघ टी-57 की मां बाघिन शर्मिली यानि टी-26 है। बाघिन ने पहली बार के प्रसव में ही तीन शावकों को जन्म दिया था। वन विभाग ने तीनों शावकों को टी-56, टी-57 और टी-58 नाम दिया था। अक्टूबर 2019 में बाघ टी-57 की अपने भाई बाघ टी-58 रॉकी से संघर्ष हुआ था। जोन नंबर 6 में यह लड़ाई नूर को लेकर हुई थी। फाइट की तस्वीर वन विभाग के फोटो ट्रैप कैमरों में भी कैद हुई थी। संघर्ष में दोनों बाघों को हल्की चोटें आई थीं। इसके बाद टी-57 ने जोन नंबर 6 छोड़ दिया था और यहां टी-58 का कब्जा हो गया था। फिलहाल बाघ टी-57 की टेरेटरी रणथम्भौर के जोन नंबर 2 में है, जबकि बाघ टी-58 की टेरेटरी जोन 4 में है।
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