चित्तौड़गढ़30 मिनट पहले
करीब एक हजार साल पुरानी नटराज की मूर्ति
वजन 270 किलो और लंबाई करीब चार फीट
इस मूर्ति को 1998 में भारत से चोरी कर लंदन में बेचा गया
लंबे इंतजार के बाद… 15 जनवरी 2023 को मूर्ति को वापस उसके घर लेकर आया जा रहा है
9वीं से 10वीं शताब्दी की ये दुर्लभ नटराज की मूर्ति रावतभाटा क्षेत्र स्थित बाड़ौली के घाटेश्वर मंदिर में विराजमान थी। 18 फरवरी 1998 को नारायण घीया नाम का कुख्यात तस्कर इसे चोरी कर भाग गया था। पुलिस जांच में मूर्ति को लंदन के प्राइवेट म्यूजियम में बेचने के बारे में पता चला था। इसके बाद लंबी कानूनी कार्रवाई के बाद 2020 में मूर्ति को भारत लाया गया। इसके बाद भी चित्तौड़गढ़ वापस लाने में 2 साल लग गए।
केंद्रीय मंत्री पुरातत्व विभाग को सौंपेगे मूर्ति
सांसद सीपी जोशी ने बताया कि सभी फॉर्मेलिटीज़ के बाद आखिरकार मूर्ति को चित्तौड़गढ़ लाने में सफल हो गए है। अब केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल रविवार शाम 4:30 बजे एक कार्यक्रम में चित्तौड़गढ़ स्थित कुंभा महल गार्डन में स्थानीय पुरातत्व विभाग को मूर्ति सौंपेगे। सांसद ने उन्होंने बाड़ौली स्थित परिसर में म्यूजियम बनाने की भी मांग की है,ताकि म्यूजियम में मूर्ति को रखा जा सकें। जब तक म्यूजियम नहीं बन जाता, कुम्भा महल में ASI के संरक्षण में मूर्ति को रखा जाएगा।
सांसद सीपी जोशी ने कुंभामहल का निरीक्षण किया। म्यूजियम नहीं बनने तक मूर्ति की पूजा कर महल में ही रखा जाएगा।
कुंभामहल में होगी मूर्ति की पूजा
सांसद सीपी जोशी ने शुक्रवार को कुंभामहल का निरीक्षण भी किया। कुंभामहल में रविवार को मूर्ति आने पर उसकी पूजा की जाएगी। सांसद ने पुरातत्व विभाग के अधिकारी प्रेमचंद शर्मा से जानकारी ली और कार्यक्रम तय किया। इस दौरान पूर्व उप जिला प्रमुख मिठूलाल जाट, भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष हर्षवर्धनसिंह, सुधीर जैन, मनोज पारिक, राजन माली, मनीष वैष्णव, पंडित अरविंद भट्ट आदि मौजूद थे। इस दौरान आरटीडीस पन्ना के मैनेजर रविंद्र चतुर्वेदी ने भी सांसद सीपी जोशी से चर्चा की।
नटराज मूर्ति की चोरी की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल, तस्कर पुलिस को चकमा देने के लिए वारदात के करीब 8 महीने बाद नकली मूर्ति को रखकर चला गया था। लेकिन पुलिस ने इसका खुलासा कर दिया और तस्कर को पकड़ लिया। उसके बाद भारत से लेकर लंदन तक कानूनी कार्रवाई चली। कैसे तस्कर पकड़ा गया, लंदन से कब मूर्ति को भारत और अब चित्तौड़गढ़ लाया जा रहा है। आज की खबर में पढिए…
घाटेश्वर मंदिर से चोरी कर भागे थे तस्कर
9वीं से 10वीं शताब्दी की दुर्लभ नटराज की मूर्ति रावतभाटा क्षेत्र स्थित बाड़ौली के घाटेश्वर मंदिर से 18 फरवरी 1998 को चोरी हो गई थी। प्रतिमा चोरी पर लोगों में इतना गुस्सा था कि आंदोलन भी किया था। इस दौरान कोई हूबहू नकली मूर्ति मंदिर में रखकर चले गए थे। 2003 में तत्कालीन एसपी आनंद श्रीवास्तव ने ऑपरेशन ब्लैक हॉल चलाया था।

बाड़ौली के घाटेश्वर मंदिर से 18 फरवरी 1998 को चोरी हो गई थी।
लंदन में प्राइवेट म्यूजियम में बेचा था
इस दौरान पुलिस को गुमराह करने के दौरान चोर नकली मूर्ति को मंदिर के पास खेत में रखकर चले गए थे। पुलिस जांच के दौरान पुलिस ने मूर्ति तस्कर वामन नारायण घीया को पकड़ा था। जयपुर में उसके ठिकाने पर पुलिस कार्रवाई में प्रतिमा की फोटो मिला था। पूछताछ में उसने मूर्ति चोरी कर लंदन के प्राइवेट म्यूजियम में बेचने की बात को कबूला था। नकली मूर्ति आज भी ऑर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया के पास सुरक्षित है।
साल 2005 में भारतीय दूतावास में मूर्ति को सौंपा
पत्थर की नटराज/नटेश की यह मूर्ति करीब चार फीट लंबी है और काफी दुर्लभ है। 2003 में मूर्ति को ब्रिटेन में बेचने की बात सामने आई थी। लंदन में जब प्रशासन को सूचना मिली तो उन्होंने निजी जासूसों के माध्यम से इसे खोजना शुरू किया था। लंदन में जिसके पास यह मूर्ति थी, उससे संपर्क किया गया और वह इस मूर्ति को लौटाने के लिए राजी हो गया। साल 2005 में लंदन स्थित भारतीय दूतावास में यह मूर्ति सौंप दी गई।

असली मूर्ति नटराज की नृत्य मुद्रा में है, जिसका एक पैर खंडित हुआ है।
2020 में मूर्ति को भारत लाया गया
2007 में एएसआई के विशेषज्ञों ने इंडिया हाउस का दौरा किया और इस मूर्ति की जांच की। उन्होंने पुष्टि की कि यह वही मूर्ति है,जिसे घाटेश्वर मंदिर से चुराया गया था। भारत सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक भारतीय संस्कृति को बचाए रखने के प्रयास में विदेश मंत्रालय ने कानून प्रवर्तन एंजेसियों के साथ मिलकर इस मामले की जांच शुरू की थी। इसी का परिणाम है कि अमेरिका, आस्ट्रेलिया, फ्रांस और जर्मनी से भारत की दुर्लभ मूर्तियां व वस्तुएं वापस लाई जा रही हैं। मूर्ति को 15 अगस्त 2019 को अमेरिकी दूतावास ने लौटा दिया था।
असली मूर्ति नटराज की नृत्य मुद्रा में, एक पैर खंडित
इतिहास विद डॉ.सुषमा आहूजा ने बताया कि मूर्ति चोरी होने पर अमेरिकन इंस्टीट्यूट गुड़गांव से मूर्ति का ओरिजनल फोटो लेकर आए थे। इस दौरान पुलिस ने ब्लैक होल अभियान भी चला रखा था। मंदिर में लाई गई मूर्ति का असली मूर्ति के फोटो से मिलान किया गया। तब मूर्ति के नकली होने का पता चला था। मूर्तिकला विशेषज्ञ और तत्कालीन आर्कोलॉजीकल डिपार्टमेंट के डायरेक्टर रतन चंद्र अग्रवाल से बात करने पर असली मूर्ति लंदन के किसी निजी म्यूजियम में होने का पता चला। प्रारंभिक तौर पर उस टाइम यह बात सामने आया था कि मूर्ति 80 से 85 लाख रुपए में बेची गई थी। चोरों ने पुलिस से बचने के लिए दो से तीन मूर्ति हुबहू बनाई थी। उनमें से एक मूर्ति छोड़कर चले गए थे। असली मूर्ति नटराज की नृत्य मुद्रा में है, जिसका एक पैर खंडित हुआ है।
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