दौसाएक घंटा पहले
शनिवार को पुलिस ने आरती को अरेस्ट कर लिया। इसकी हत्या के आरोप में पहला पति और उसका दोस्त करीब डेढ़ साल जेल में रहे हैं।
जिस महिला के मर्डर केस में उसका पति अपने दोस्त के साथ करीब डेढ़ साल जेल में रहा, वो जिंदा मिली है। महिला मथुरा (यूपी) में मिली है। फिलहाल दोनों दोस्त जमानत पर जेल से बाहर हैं। महिला 7 साल से अपने दूसरे पति के साथ रह रही है। मामला दौसा का है।
दौसा के बालाजी थाना इंचार्ज अजीत बड़सरा ने बताया कि शनिवार को मथुरा पुलिस दौसा पहुंची। यहां से आरती (32) को डिटेन कर अपने साथ मथुरा ले गई। आरती के मर्डर मामले में उसका पति सोनू सैनी (32) ने डेढ़ साल और उसके दोस्त गोपाल सैनी ने 9 महीने जेल में बिताए।
मर्डर मामले में सोनू सैनी (बाएं) और उसके दोस्त गोपाल सैनी (बाएं) ने यूपी की जेल में सजा काटी। 7 साल बाद पता चला कि जिस महिला के मर्डर की वे सजा काट रहे हैं वह जिंदा है।
सोनू सैनी ने बताया कि मामला 2015 का है। दौसा के बालाजी कस्बे में समाधि गली, मुंबई धर्मशाला के पास वह एक दुकान पर काम करता था। जन्माष्टमी के दूसरे दिन यूपी के मथुरा की रहने वाली आरती अपने पिता सूरज प्रसाद के साथ बालाजी दर्शन के लिए आई थी। वहीं आरती से जान-पहचान हो गई और नंबर एक्सचेंज हो गए। करीब 20 दिन बाद आरती अकेले बालाजी आई और दुकान पर पहुंच गई। उसने सोनू से प्यार का इजहार किया और शादी की इच्छा जताई। दोनों ने सहमति से बांदीकुई कोर्ट जाकर 8 सितंबर 2015 को कोर्ट मैरिज कर ली।
सोनू ने बताया कि शादी के बाद वह आरती को अपने गांव रसीदपुर लेकर चला गया। वहां पहुंचते ही आरती ने उसने जायदाद अपने नाम कराने, फोर व्हीलर व 50 हजार रुपए की डिमांड की। सोनू ने इसके लिए मना किया तो वह 8 दिन बाद अचानक लापता हो गई। सोनू ने आरती को जयपुर, भरतपुर, अलवर, दौसा व महुवा क्षेत्र में काफी तलाश किया। कोई सुराग नहीं लगा। इसके बाद वह मेहंदीपुर बालाजी में एक दुकान पर मजदूरी करने लगा।
आरती ने 2015 में ही विशाला गांव निवासी भगवान रेबारी से शादी कर ली थी। पहला पति उसके मर्डर के मामले में जेल में बंद था।
आरती की गुमशुदगी की रिपोर्ट सोनू ने थाने में नहीं लिखाई। उसने बताया कि आरती घर से भागकर आई थी। ऐसे में उसकी गुमशुदगी लिखाकर कोई आफत मोल नहीं लेना चाहता था। वह अपने स्तर पर ही आरती को ढूंढता रहा।
आरती के लापता होने के बाद उसके पिता सूरज प्रसाद ने वृंदावन कोतवाली थाने में 25 सितंबर 2015 को गुमशुदगी दर्ज करवाई। रिपोर्ट में सोनू सैनी निवासी रसीदपुर, भगवान उर्फ गोपाल सैनी निवासी उदयपुरा व अरविन्द पाठक निवासी अलवर के नाम का भी जिक्र किया।
गुमशुदगी दर्ज होने के बाद 29 सितंबर 2015 को मथुरा जिले के नहरी क्षेत्र में एक 35 वर्षीय अज्ञात महिला का शव नहर में मिला। पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज करवाने वाले आरती के पिता सूरत प्रसाद से शव की पहचान करवाई। सूरज प्रसाद ने शव की शिनाख्त बेटी के रूप में कर दी। उसने शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया। शव मिलने के 6 महीने बाद 17 मार्च 2016 को सूरज प्रसाद ने सोनू समेत कई लोगों पर हत्या कर शव फेंकने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करवा दी।
सोनू और गोपाल ने मिलकर आरती का पता लगाया। जानकारी मिली तो सबूत जुटाए और पुलिस को सौंपे।
इसके बाद वृंदावन पुलिस ने बालाजी पहुंचकर सोनू व गोपाल उर्फ भगवान सिंह को भी हिरासत में ले लिया। पुलिस ने पूछताछ के बाद सोनू व गोपाल उर्फ भगवान सिंह को 302 का आरोपी मानते हुए चार्जशीट पेश कर दी। मामले में गोपाल को 9 महीने, सोनू 18 महीने तक जेल में बंद रहा। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट से दोनों को जमानत मिल गई।
यूपी पुलिस ने किया टॉर्चर
सोनू ने बताया कि वृंदावन कोतवाली की एसओजी टीम ने हमें उठाया था। रिमांड में थर्ड डिग्री टॉर्चर का डर दिखाया। नाखून उखाड़ लिए। उंगलियां मोड दीं। बोले कि एनकाउंटर में मार डालेंगे। 7 दिन के रिमांड में हडि्डयां तोड़ देंगे। यह भी कहा कि मर्डर का जुर्म गोपाल के सिर डालकर तुम्हें बचा लेंगे। इस तरह डर से हमने जुर्म कबूल कर लिया था। गोपाल ने बताया कि पुलिस ने कहा कि तुम्हारे फोन से कॉल किए गए हैं( तुम पर भी केस लगेगा। रिमांड में तुम्हारी पिटाई करेंगे। पिटाई के बचने के लिए हमने साइन कर दिए।
यूपी की मथुरा पुलिस के सामने आरती को शनिवार को पेश किया गया। आरती ने खुद को निर्दोष बताया।
गोपाल ने कहा कि हमने क्या कुछ नहीं सहा। मर्डर केस के कारण हमें जात बाहर कर दिया गया। समाज से अलग-थलग हो गए। घर से बेदखल कर दिए गए। पिता का निधन हो गया। रहने को घर नहीं बचा। यही हाल सोनू का भी था। गोपाल ने कहा कि हमारे सेठ ने 10-12 लाख खर्च कर इलाहाबाद हाईकोर्ट से हमारी जमानत कराई।
सोनू और गोपाल दोनों जेल से जमानत पर बाहर आए और दौसा आकर दुकानों पर मजदूरी करने लगे। वे अपने स्तर पर आरती की तलाश भी करते रहे। इसके लिए जयपुर, अलवर, दौसा, भरतपुर समेत कई शहरों की खाक छानी।
कुछ दिन पहले बालाजी में ही गोपाल की जान-पहचान नजदीकी गांव विशाला के एक युवक से हुई। युवक भी दुकान पर काम करता था। युवक ने बताया कि विशाला गांव में रेबारी समाज के एक घर में यूपी के उरई की लड़की कुछ साल से शादी करके रह रही है। गोपाल को शक हुआ तो उसने सोनू को बताया। दोनों ने तय किया कि महिला का पता लगाएंगे कि वह आरती ही तो नहीं है। इसके लिए दोनों ने प्लान बनाया।
सोनू के साथ आरती ने बांदीकुई में कोर्ट मैरिज की थी। 2015 में हुई शादी का कोर्ट मैरिज प्रपत्र सोनू ने पेश किया।
सोनू और गोपाल ने योजना बनाई। एक युवक को स्वच्छ भारत मिशन का कार्यकर्ता बनाकर बिसाला गांव भेजा। वहां महिला के घर में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनाने और रकम देने का झांसा दिया। कहा कि योजना का लाभ उठाने के लिए महिला मुखिया के दस्तावेज चाहिएं। महिला ने अपने सारे दस्तावेज युवक को सौंप दिए। दस्तावेज से साफ हो गया कि महिला कोई और नहीं बल्कि आरती ही थी।
इसके बाद सोनू व गोपाल ने बालाजी थाना इंचार्ज अजीत बड़सरा से मदद की गुहार लगाई। इसके बाद मथुरा STF के इंचार्ज अजय कौशल के नेतृत्व में टीम विशाला गांव पहुंची। टीम के एक सदस्य ने वेरिफिकेशन के लिए अकेले पहुंचकर महिला से बात कर पहचान की पुष्टि की। इसके बाद टीम ने दबिश देकर उसे हिरासत में ले लिया।
महिला का होगा DNA टेस्ट
STF के इंचार्ज अजय कौशल ने बताया कि महिला को सोमवार को मथुरा कोर्ट में पेश किया जाएगा। इसके बाद पहचान की पुष्टि के लिए डीएनए टेस्ट व अन्य कार्रवाई की जाएगी। मामले की जानकारी मिलते ही मानपुर डिप्टी एसपी दीपक मीणा भी बालाजी थाने पहुंचे, जहां उन्होंने यूपी पुलिस की टीम से मामले की जानकारी ली।
महिला के जिंदा मिलने के बाद अब यूपी पुलिस की जांच सवालों के घेरे में आ गई है। ऐसे में स्पेशल पुलिस टीम द्वारा मामले को इन्वेस्टिगेशन के लिए अपने हाथ में ले लिया गया है।
सोनू और गोपाल का कहना है कि एक फेक मामले में पुलिस और कोर्ट ने उनके साथ अन्याय किया। अब इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। जेल जाने के कारण हमने बहुत कुछ खोया है। अब हमें न्याय चाहिए।
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