रानीवाड़ाएक घंटा पहले
ये है राधा, उम्र 7 साल, इनके तीन बच्चे हैं और ये इनके साथ एक करोड़ के बंगले में रहती हैं। सेवा के लिए 4 लोगों का स्टाफ है। इनको जरा भी तकलीफ होते ही डॉक्टर्स की टीम बुला ली जाती है। खाने में ये सिर्फ शुद्ध देसी घी लापसी और लड्डू लेती हैं। ऐसी ही इनकी और भी बाते हैं जो आपको चौंका देंगी, लेकिन इससे पहले जान लीजिए कि ये हैं कौन?
जालोर के रानीवाड़ा के पास धानोल गांव में उद्योगपति नरेंद्र पुरोहित परिवार के साथ गाय राधा की आरती करते हुए।
राधा, एक गाय हैं। रानीवाड़ा के पास धानोल गांव में रहती हैं। जब ढाई साल की थी तब धानोल के रहने वाले उद्योगपति नरेंद्र पुरोहित ने इन्हें गोधाम पथमेड़ा से लाए थे। घर में राधा के आने बाद नरेंद्र पुरोहित के बिजनेस में और बढ़ोतरी होने लगी। सब कुछ अच्छा होने लगा। जिसके बाद तो वे जैसे राधा के भक्त हो गए और राधा इनके परिवार की सदस्य बन गई। नरेंद्र पुरोहित मुंबई में बीएमसी में कांट्रेक्टर हैं। उनका परिवार मुंबई ही रहता है। धानोल में उनका करीब एक करोड़ का बंगला है। राधा पूरे दिन इसी बंगले में रहती है। वह आराम से बंगले के कमरों में आती जाती है। मन करता है तो अंदर ही रहती है और मन करता है तो बाहर आकर घूमने लगती हैं। बंगले के सारे कमरे इसके लिए खुले रहते हैं। घर में राधा के आने के बाद नरेंद्र पुरोहित अब परिवार सहित महीने में दस दिन धानोल ही रहते हैं और बाकी दिन मुंबई चले जाते हैं, लेकिन पूरे परिवार का यह नियम है कि राधा के दर्शन करके ही भोजन करते हैं। इसके लिए घर पर सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हैं। जिनसे वे राधा को दिन में कई बार देखते हैं। उनके परिवार में दो बेटियां सपना, निकिता और दो बेटे परेश और अभिजीत है। धर्मपत्नी विमला पुरोहित है। ये सब भी राधा की सेवा करते हैं।

राधा की देखभाल के लिए 4 लोगों को स्टाफ लगा हुआ है। राधा के पांव दबाता एक व्यक्ति।
पथमेड़ा से ब्याह कर लाए
नरेंद्र पुरोहित बताते हैं कि मेरा बचपन से ही गायों के प्रति लगाव है। गाय बहुत ही दयालु प्रवृति और प्रेमभाव वाली होती है। अक्सर मैं पथमेड़ा जाता था। वहीं से मैंने इस गाय को लिया। इसके लिए हम लोग धानोल से पूरी बारात लेकर गए थे। बैंड बाजे के साथ हम उसे घर लेकर आए। वहां से आने से पहले दत्तशरणानंद जी महाराज का आशीर्वाद लिया। घर लाने के बाद इसका नाम राधा रखा गया। अब वह हमारे परिवार की सदस्य ही है। यहां आने के बाद उसकी तीन बछड़ी हुई। जिनका नाम हमने मीरा, सोमा और गोपी रखा। ये सभी नाम से दौड़े चले आते हैं।
खाने में केवल लापसी और लड्डू, वह भी बंगले में ही
राधा भी पूरे ठाठ बाट से रहती है। खाने में वह केवल शुद्ध देसी घी से बनी लापसी और लड्डू लेती है। कभी कभी सूखा चारा दिया जाता है, लेकिन वह नाम मात्र का खाती है। भोजन करने के लिए वह बाकायदा बंगले में ही आती है। यदि बाहर भोजन दिया जाए तो वहां से उठकर बंगले में आ जाती है। यह लापसी और लड्डू भी वह तभी खाती है जब उसे थाली में परोसकर दिया जाए। खास बात ये है कि गोबर और मूत्र वह बंगले से बाहर आकर ही करती है।

राधा के अलावा नरेंद्र पुरोहित के पास 27 गायें और हैं, जिनकी देखभाल के लिए अलग स्टाफ लगा रखा है।
देखरेख के लिए लगा है स्टाफ
राधा के अलावा नरेंद्र पुरोहित के पास 27 गायें और हैं। जो बंगले के बाहर फॉर्म हाउस में रहती हैं। उन सभी की देखभाल के लिए स्टॉफ लगा है, लेकिन राधा के लिए अलग से चार लोग लगे हैं। जो राधा को नहलाने, पांव दबाने, मालिश करने, श्रृंगार करने, साफ सफाई करने और भोजन करवाने का काम करते हैं। जब नरेंद्र पुरोहित गांव आते हैं तो खुद राधा की आरती करते हैं। इसके बाद पूरा परिवार राधा के पैरों के नीचे निकलता है। इस दौरान राधा एकदम शांत खड़ी रहती है।

उद्योगपति नरेंद्र पुरोहित ने अपने यहां राधा के अलावा 27 गाएं पाल रखी हैं और उनकी देखभाल के लिए स्टाफ लगा रखा है।
लंपी भी हुआ, इलाज के लिए लगे डॉक्टर्स
गायों को लंपी के बुरे दौर में राधा भी इस रोग की चपेट में आ गई थी। जैसे ही नरेंद्र पुरोहित को पता चला तो वे परिवार सहित धानोल आ गए और डॉक्टर्स की टीम लगाकर उसका इलाज शुरू करवाया। इसके बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ। वे बताते हैं कि राधा की हालत देखकर हम लोगों ने द्वारकाधीश जी से अरदास लगाई की यदि राधा ठीक नही हुई तो उनका परिवार 27 गायों का भी त्याग कर देगा। नरेन्द्र का कहना है कि उनकी अरदास सुनी गई और रिकवरी में अचानक तेजी आने लगी। अभी राधा का वजन पहले से काफी कम हो गया है।
राधा की नस्ल के नाम पर बनाए इलेक्ट्रिक व्हीकल
करीब चार महीने पहले ही नरेंद्र पुरोहित ने अहमदाबाद में इलेक्ट्रिक टू व्हीकल्स की मैन्यूफैक्चरिंग का काम शुरू किया है। इस व्हीकल को सुरभि नाम दिया गया है। दरअसल, राधा सुरभि नस्ल की गाय है। उसी के नाम पर उन्होंने यह बिजनेस शुरू किया है। गायों के प्रति इस परिवार का इतना प्रेम है कि गोशालों में हर साल लाखों रुपए दान किए जाते हैं।
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