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- Dozens Of Trees Were Cut From Pasture Land Under The Guise Of Khatedari Land, Occupied 30 Bighas Of Land, Fury Among Villagers
बूंदी15 मिनट पहले
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- पुलिस, स्थानीय प्रशासन, तहसीलदार व बीडीओ की दी सूचना
इटावा भोपजी गाेविंदगढ़ पंचायत समिति की ग्राम पंचायत अमरपुरा के नारोलाई में करीब 100-150 बीघा से ज्यादा दूरी में फेली गोचर भूमि पर लोगों के द्वारा प्रशासन के लोगों की मिलीभगत के चलते धड़ल्ले से खुलेआम दबंगई दिखाते हुए सरकारी भूमि से हरे-सूखे पेड़ों को काटने और भूमि पर अतिक्रमण करने का काम जोरों पर है। रविवार को अल सवेरे धुंध का फायदा उठाकर कुछ पास के खातेदारे ने सरकारी गोचर भूमि को स्वयं की बताते हुए करीब 3-5 पेड काटकर पास में करीब 20-30 बीघा भूमि पर अतिक्रमण कर लिया। उल्लेखनीय है कि अतिक्रमण व पेड़ कटाई की ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन के सरपंच गजानंद यादव, विकास अधिकारी भागीरथ मीणा, तहसीलदार सज्जन लाटा, पुलिस कंट्रोल रूम जयपुर को भी दी गई, लेकिन किसी ने रविवार तो किसी ने त्योंहार का हवाला देकर टरका दिया।
^अमरपुरा सरपंच गजानंद यादव ने बताया कुछ लोगों के द्वारा पेड़ों को काटने की शिकायत मिली थी, उन लोगों ने खातेदारी भूमि का हवाला दिया तो मैंने मामले की सूचना पटवारी को दी। गोचर से पेड़ काटना व अतिक्रमण करना गलत है, पेड़ काटे हैं तो जांच राजस्व विभाग कार्रवाई करेगा। ^चौमूं तहसीलदार सज्जन लाटा ने बताया कि मेरे पास शिकायत आई है, मैं अभी मौके पर पटवारी को भेजकर मौका रिपोर्ट मंगवाता हूं। गोचर से सूखा हो या गीला कोई पेड़ नहीं काट सकता। पेड़ काटने व अतिक्रमण करने का मामला सही पाया गया तो मुकदमा दर्ज कर उचित कार्रवाई जाएगी।
100-150 बीघा गोचर भूमि है
ग्रामीणों ने बताया कि नारोलाई कस्बे में करीब 100-150 बीघा गौचर भूमि है, जहां इसके चारों ओर करीब 20-30 खातेदारों ने अपनी खातेदारी भूमि बताकर करीब 30 बीघा भूमि पर कब्जा कर लिया। ग्रामीणों ने बताया कि रविवार को तो लोगों में पेड़ों को काटने व तारबंदी करके अतिक्रमण करने की हौड ही मची हुई थी। लोगों ने दबंगई दिखाते हुए दिनदहाड़े धड़ल्ले से करीब 3 पेड़ों को काटकर ट्राली में भर ले गए। मामले की सूचना स्थानीय प्रशासन के साथ राजस्व विभाग के आला अधिकारियों को दी गई, लेकिन किसी ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में ग्रामीणों व लोगों ने प्रशासन के लोगों पर भी मिलीभगत का आरोप साधा। ग्रामीणों ने बताया कि समाज कंटकों ने हरे-सूखे बबूल, खेजड़ी और रूंझ के कई पेड़ कटवा दिए।
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